चीन, जापान, यूएस में कोरोना के बढ़ते मामलों ने एक बार फिर स्वास्थ्य से जुड़ी चिंताओं को बढ़ा दिया है. दुनिया के कई देशों में कोरोना के मामले एक बार फिर बढ़ने लगे हैं. बीते कुछ दिनों से कोरोना के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. भारत में भी कोरोना महामारी को लेकर एक बार फिर चिंता बढ़ने लगी है. हाल ही में रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि भारत में ओमिक्रोन के अब तक के सारे वेरिएंट मौजूद हैं.

चिंता की बात यह है कि चीन और अमेरिका में कोरोना के मामलों को बढ़ाने वाले वेरिएंट्स भारत में भी मिल रहे हैं. इन वेरिएंट्स की खबरें सामने आने के बाद भारत में कोरोना की नई लहर की चिंता सताने लगी है.

सबको एक ही सवाल परेशान कर रहा है कि क्या आने वाले दिनों में भारत में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ेंगे? इसे लेकर सरकार के शीर्ष विशेषज्ञों ने बड़ा दावा किया है. कोविड वर्किंग ग्रुप के चेयरमैन डॉ. एनके अरोड़ा ने कहा कि, देश में कोविड-19 की स्थिति से घबराने की जरूरत नहीं है, बल्कि विदेशों पर कड़ी नजर रखने की जरूरत है. उन्होंने यह भी पुष्टि की कि भारत में अधिकारियों ने जीनोमिक निगरानी बढ़ा दी है और हवाई अड्डे की स्क्रीनिंग शुरू कर दी है.

मीडिया से बात करते हुए, कोविड वर्किंग ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. एनके अरोड़ा ने जोर देकर कहा कि वायरस यहां बहुत है लेकिन यह देश में तीव्रता से नहीं फैल रहा है. उन्होंने कहा, "हमने अपनी जीनोमिक निगरानी बढ़ा दी है और एयरपोर्ट स्क्रीनिंग शुरू कर दी है. हमने जो कुछ भी पाया है, वह यह नहीं है कि हमें कोई नया वेरिएंट मिल रहा है."

डॉ. अरोड़ा ने कहा कि भारत में जो ऑमिक्रॉन संस्करण हम देख रहे हैं, उसे दुनिया के किसी भी हिस्से में भी देखा जा सकता है. उन्होंने सुझाव दिया, "कोविड वेरिएंट पैर जमाने या अस्पताल में भर्ती होने में सक्षम नहीं हैं. घबराने की कोई जरूरत नहीं है, लेकिन हमें यूरोपीय, उत्तरी अमेरिकी और पूर्वी एशियाई देशों पर कड़ी नजर रखने की जरूरत है."

पिछले हफ्ते, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने जनता से कहा कि वैश्विक स्तर पर चल रहे कोविड उछाल के बीच घबराएं नहीं बल्कि सतर्क रहें और केंद्र द्वारा जारी दिशानिर्देशों का पालन करें. उन्होंने कहा कि जब कोविड उत्परिवर्तित होता रहेगा और अधिक उपभेद या वैरिएंट सामने आएंगे, नागरिकों को अनावश्यक रूप से चिंतित नहीं होना चाहिए और घबराहट से बचने के लिए केवल सरकारी स्रोतों द्वारा साझा की गई जानकारी पर विश्वास करना चाहिए.

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