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चीन ने अब इस क्षेत्र को भी बताया अपना और की ये हरकत, भारत ने दिया ये जवाब

Published On August 30, 2022 08:57 AM IST
Published By : Mega Daily News

चीन एक बार फिर लद्दाख में अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। अब पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के नजदीक डेमचोक में भारतीय चरवाहों को चीनी सैनिकों द्वारा रोके जाने की खबर है। चीनी सैनिकों ने डेमचोक इलाका चीन का होने की बात कहकर भारतीय चरवाहों को वहां से जाने और फिर कभी न आने के लिए कहा है। चीन के सैनिकों ने यह हरकत 21 अगस्त को की है। भारतीय सेना ने इस मसले पर चीन से बात की है। पता चला है कि चीन के सैनिकों ने भारतीय चरवाहों को जिस जगह जाने से रोका है वहां पर क्षेत्र के ग्रामीण सदियों से जाते-आते थे और अपने जानवर चराते थे। वह इलाका पूरी तरह से भारत के नियंत्रण में था। लेकिन पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर बने तनाव के बीच पहली बार इस तरह की घटना हुई है।

दोनों देशों के बीच गतिरोध कायम

वैसे डेमचोक क्षेत्र में चीनी सेना के आगे आने को लेकर दोनों देशों के बीच गतिरोध बना हुआ है लेकिन चीनी सैनिकों ने अब उससे आगे आते हुए भारतीय चरवाहों को रोका है। चीन के सैनिकों ने जिस क्षेत्र को अपना बताया है वह डेमचोक में सेडल दर्रे के नजदीक की जमीन है। मामला प्रकाश में आने के बाद क्षेत्र के भारतीय सैन्य अधिकारियों ने चीन के अपने समकक्षों से बात की है।

सैनिकों का नहीं हुआ टकराव

भारतीय सेना ने साफ किया है कि इस मसले पर दोनों देशों के सैनिकों का आमना-सामना या टकराव नहीं हुआ है। यह वही इलाका है जहां पिछले दो साल से दोनों देशों की सेनाओं के बीच गतिरोध की स्थिति बनी हुई है। यह स्थिति चीन के सैनिकों के आगे आ जाने और स्थायी निर्माण करने से पैदा हुई है। भारतीय सेना ने भी इलाके में भारी सैन्य तैनाती कर रखी है। सेना प्रमुख जनरल मनोज पाण्डेय और क्षेत्रीय कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी क्षेत्र का लगातार दौरा करके हालात का जायजा ले रहे हैं।

सीमा की स्थिति तय करेगी संबंध : जयशंकर

दूसरी और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को एक बार फिर कहा कि सीमा की स्थिति से भारत और चीन के संबंधों का निर्धारण होगा। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि संबंध आपसी संवेदनशीलता, आपसी सम्मान और आपसी हित पर आधारित होने चाहिए। भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में सीमा पर पिछले दो साल से तनाव पूर्ण स्थिति बनी हुई है। टकराव वाले बिंदुओं पर दोनों तरफ से बड़ी संख्या में सैनिक तैनात किए गए हैं।

एशिया सोसाइटी पालिसी इंस्टीट्यूट के शुभारंभ के मौके पर अपने संबोधन में जयशंकर ने कहा कि एशिया का भविष्य बहुत हद तक इस बात पर निर्भर करता है कि निकट भविष्य में भारत और चीन के बीच संबंध कैसे विकसित होते हैं। उन्होंने कहा कि सकारात्मक और स्थिर संबंध के लिए जरूरी है कि वह आपसी संवेदनशीलता, आपसी सम्मान और आपसी हित पर आधारित हो। उन्होंने कि मौजूदा स्थिति के बारे में सभी को पता है।

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