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Bank Privatisation : सितंबर में बिकने जा रहा ये सरकारी बैंक!, तैयारी शुरू, कहीं आपका अकाउंट भी तो नहीं?

Published On August 27, 2022 07:13 PM IST
Published By : Mega Daily News

 निजीकरण के खिलाफ सरकारी कर्मचारी लगातार हड़ताल कर रहे हैं, बावजूद इसके सरकार ने अपना पक्ष साफ कर दिया है. सरकार आईडीबीआई बैंक के निजीकरण की प्रक्रिया सितंबर में शुरू करने जा रही है. विभाग से संबंधित एक अधिकारी से मिली जानकारी के अनुसार, केंद्र सरकार सितंबर के अंत तक बैंक के निजीकरण के लिए प्रारंभिक निविदाएं आमंत्रित कर सकती है.

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इस महीने शुरू होगा निजीकरण!

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) फिलहाल अमेरिका में आईडीबीआई बैंक की बिक्री के लिए रोड शो किया है. आपको बता दें केंद्र सरकार IDBI बैंक में हिस्सेदारी बेच सकती है. फिलहाल सरकार और एलआईसी दोनों ही को जोड़ दें तो दोनों के पास आईडीबीआई बैंक की 94 फीसदी हिस्सेदारी है. लेकिन इसमें कितनी हिस्सेदारी बेची जाए इसे लेकर अब भी मंथन जारी है. आपको बता दें कि हालांकि मंत्रियों का समूह इस डील को लेकर अंतिम फैसला लेगा. माना जा रहा है कि सितंबर के आखिर तक सरकार आईडीबीआई बैंक के खरीदार को लेकर फैसला ले सकती है. 

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कितनी है सरकार की हिस्सेदारी?

अब बात करते हैं सर्कार के हिस्सेदारी की तो IDBI Bank में सरकार की हिस्सेदारी 45.48 फीसदी है, जबकि एलआईसी की हिस्सेदारी 49.24 फीसदी है. बताया जा रहा है कि सरकार और एलआईसी आईडीबीआई बैंक में कुछ हिस्सेदारी बेचेगी और फिर खरीदार को मैनेजमेंट कंट्रोल भी सौंप दिया जाएगा. आरबीआई 40 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी खरीदने को मंजूरी दे सकता है. 

सरकार की लिस्ट है लंबी

दरअसल, सरकार ने कई कंपनियों की लिस्ट बनाई है, जिसका निजीकरण किया जाएगा. लगभग आधे दर्जन से अधिक सार्वजनिक कंपनियों की सूची बनी हुई है. इनमें शिपिंग कॉर्प, कॉनकॉर, विजाग स्टील, आईडीबीआई बैंक, एनएमडीसी का नगरनार स्टील प्लांट और एचएलएल लाइफकेयर को शामिल किया गया है. इतना ही नहीं, सरकार चालू वित्त वर्ष 2022-2023 में अब तक सरकार केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (CPSE) के विनिवेश से 24,000 करोड़ रुपये से अधिक जुटा चुकी है.

इस पूरे वित्त वर्ष के लिए सरकार ने 65,000 करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा है. पिछले वित्त वर्ष में केंद्रीय उपक्रमों में विनिवेश के जरिये 13,500 करोड़ रुपये से अधिक की राशि जमा हुई थी जिसमें एयर इंडिया के निजीकरण से मिली रकम भी शामिल है.

 

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