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Parenting Tips : बच्चों को मजाक में भी न सिखाएं ये बातें, कभी न कहें ये बातें, बच्चों पर होता है बुरा असर
बचपन में वे माता-पिता के नजरिए से दुनिया को देखते हैं इसलिए हर पेरेंट की यह जिम्मेदारी बनती है कि बच्चों पॉजिटिव बातें ही सिखाएं क्योंकि बच्चे एक बार जो सीख जाते हैं, उससे बाद उन्हें बदलना या सुधारना बहुत मुश्किल हो जाता है। जैसे, अगर बच्चे बचपन में चोरी करना सीख जाते हैं, तो उन्हें बड़े होकर भी यही आदत लग जाती है। ऐसे में बहुत जरूरी है कि बचपन में ही बच्चों की एक्टिविटी पर नजर रखी जाए। कुछ पेरेंट मजाक में बच्चों को ऐसी बातें सिखा देते हैं, जो उनके व्यक्तित्व निर्माण में सबसे बड़ी बाधा साबित होती हैं।
दूसरे बच्चों को मारना
बच्चों की लड़ाई होना आम बात है लेकिन अगर आप बच्चों को यह सिखाते हैं कि कोई बच्चा लड़े, तो उसे बुरी तरह पीटकर आना, तो ऐसी बातें आपके बच्चे को वॉयलेंट बनाती है और मार-पीट करना उसकी आदत बन सकती है।
बच्चों के सामने डबल मीनिंग बातें
कई पेरेंट इसे बहुत फनी बात मानते हैं लेकिन यह बहुत ही बुरी बात है। ऐसा करने से बच्चे के मन में किसी के लिए रिस्पेक्ट नहीं रहती और सही चीजों को भी वह गलत नजर से देखते लगता है।
अच्छी चीजों को उठा लाओ
बच्चा अगर आपको आकर बताता है कि उसे कोई चीज अच्छी लगी है और उसे खरीदना चाहता है, तो उसे बताएं कि कोई चीज उसके लिए अच्छी है या नहीं। कभी भी बच्चों को बिना पूछे घर पर उठा लाने की सलाह न दें।
इस आंटी या बच्ची से शादी करोगे?
हर बात की एक उम्र होती है। बच्चों के सामने ऐसी बातें करके आप उनके दिमाग में सिर्फ कचरा भर रहे हैं इसलिए मजाक में भी ऐसी वाहियात बातें न करें।
तुम्हें कचरे से उठाकर लाए थे
ज्यादातर लोग मजाक में यह बात अपने बच्चों को कह देते हैं लेकिन इस मजाक को करने की भी एक उम्र होती है। छोटे बच्चों का मन बहुत कोमल होता है। ऐसे में वे आपकी इस बात को सच मानकर दुखी भी हो सकते हैं या उनमें हीन भावना आ सकती है।
1. तुम्हारी उम्र में मैं बहुत जिम्मेदार था/थी
माता-पिता अक्सर जो गलती करते हैं वह है खुद से बच्चे की तुलना करना। जी हां, बच्चे के सामने यह कहना कि जब आप उनकी उम्र के थे तो क्या-क्या करते थे सरासर गलत है। जब बच्चों से परफेक्ट बनने की उम्मीद की जाती है तो उनका गुस्सा और चिड़चिड़ाहट बढ़ने लगती है। इस तरह के स्टेटमेंट आपके बच्चे का कॉन्फिडेंस कम करते हैं।
2. तुम हमेशा गलत फैसला लेते हो
अपने बच्चे को अपरिपक्व होने की सजा ना दें। हर इंसान गलती करता है और अपनी गलतियों से ही सीखता है। हो सकता है कि आपके बच्चे ने पढ़ाई के लिए कोई ऐसा सब्जेक्ट चुना हो जिसमें आपकी रूचि न हो या किसी ऐसी कंपनी में काम कर रहा हो जिस पर आपको बहुत गर्व न हो। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आप अपने बच्चे को उसके फैसले के लिए दोषी ठहराएं। पैरंट होने के नाते आपका काम बच्चे को गाइड करना है। अपने विचार बच्चों पर न थोपें।
3. तुम अपने भाई-बहन की तरह क्यों नहीं हो
यह भी एक अनुचित तुलना है जो अक्सर माता-पिता करते हैं। अपने बच्चों की क्षमताओं की तुलना कर उन दोनों के बीच लड़ाई के बीज ना बोएं। अगर आप इस तरह की तुलना करते हैं तो आपके बच्चों के बीच दरार पड़ सकती है। आप नहीं चाहेंगे कि आपके बच्चे के मन में आपके प्रति नकारात्मक भावना आए। इसलिए इस तरह की तुलना करने से बचें।
4. मुझे अकेला छोड़ दो
कई बार हम अपनी जिम्मेदारियों को निभाते हुए थक जाते हैं और कुछ समय के लिए अकेला रहना चाहते हैं। लेकिन बच्चे इस तरह की परिस्थिति की गंभीरता को नहीं समझ पाते। ऐसे में आपका बच्चे पर चिल्लाना कि मुझे अकेला छोड़ दो, उस पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा। इससे बच्चा तनाव में आ जाएगा और उसे लगेगा कि किसी को उसकी जरूरत नहीं है।
5. तुम्हें खुद पर शर्म आनी चाहिए
यह बयान आप में बेहद कठोर है और किसी भी बच्चे को ऐसा कहना पूरी तरह से गलत है। बहुत से बच्चे ऐसे होते हैं जिनकी शैतानियां इतनी ज्यादा होती हैं कि वह किसी कि नहीं सुनते। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आप अपने बच्चे को इस तरह से बोलें। बच्चों को अच्छे और बुरे के बीच का फर्क के और भी तरीके हो सकते हैं।