अपनी जिंदगी में रोजाना की होने वाली छोटी-मोटी घटनाओं से परे एक अलग सी शांतिमय, आत्म संतुष्टि  की दुनिया को खोजने की इच्छा हर इंसान रखता है और इसके लिए दिलचस्प और नए तरीके खोजना मनुष्य की एक अनोखी आदत है. पूरे विश्व में कई इंसानों पर की गई एक स्टडी के आधार पर यह सामने आया है कि अक्सर जब कोई भी मनुष्य जरा सा भी परेशान या बेचैन होता है तो वो किसी नशीले पदार्थ का सेवन करता है और साथ में अपना पसंदीदा संगीत जरूर सुनता है और फिर यह आदत कभी ना छूटने वाली एक लत बन जाती है.

कम उम्र में लगती है नशे की लत

धीरे-धीरे इंसान इस मायाजाल का केवल आदी नहीं बल्कि गुलाम बन जाता जिसके लिए वह कुछ भी करने को तैयार होता है. चाहे वह किसी तरह की चोरी हो या फिर कोई संगीन जुर्म. एक सर्वे में यह पाया गया है जितने भी कम उम्र के लोग जुर्म की दुनिया में हैं वह सभी के सभी किसी ना किसी तरह नशे की लत से जुड़े हुए हैं और बिना नशे के वह जिंदा नहीं सकते. यह आदत ज्यादातर 18 साल से कम उम्र के बच्चों में पाई गई है.

देश में केंद्र सरकार और राज्य सरकारें लगातार नशे के खिलाफ अभियान चला रही हैं जिसके चलते नशे के कई बड़े सौदागरों को पकड़ा गया है. लेकिन आज जो हम आपको बताने वाले हैं उसके बारे आपने कभी पढ़ा नहीं होगा और जानते हुए भी आपके लिए यह चीज अनजान होगी. जी हां, हम आपको बता दें कि अब किसी भी नशे को करने के लिए चाहे वो शराब हो या फिर कोकीन, भांग, चरस, गांजा और एलएसडी इस जैसी तमाम चीजें अब लोग सिर्फ एक म्यूजिक के जरिये कर लेते हैं.

नशे का नया तरीका बेहद खतरनाक

आपको यह सुनकर काफी हैरानी हो रही होगी, इन सभी जानलेवा नशे की चीजों का ऑनलाइन सॉल्यूशन आ गया है. यह फिजिकल ड्रग्स को रेप्लीकेट करने का नया तरीका है जो और भी ज्यादा खतरनाक है खासतौर पर बच्चों और युवाओं के लिए. 

एक स्टडी के मुताबिक अब लोग मेंटल रिलीफ के लिए डिजिटल ड्रग्स लेने लगे हैं. हाल ही में युवाओं के बीच यह ट्रेंड इतना बढ़ गया है कि दुनियाभर के वैज्ञानिक इस पर रिसर्च कर रहे हैं. तो आइए हम आपको बताते हैं कि क्या है यह डिजिटल ड्रग और कैसे नशे की लत के आदी लोग खासकर युवाओं के लिए कैसे काम करता है.

बाइनॉरल बीट्स से चढ़ता है नशा

इस नए डिजिटल नशे का नाम है 'बाइनॉरल बीट्स' जिसको सुनकर ही नशा चढ़ जाता है. अब नशे के लिए आपको केवल मोबाइल, हेडफोन और इंटरनेट कनेक्शन की जरूरत है. हम जिस डिजिटल ड्रग की बात कर रहे हैं, उसका साइंटिफिक नाम बाइनॉरल बीट्स है. यह म्यूजिक की एक कैटेगरी है जो यूट्यूब और स्पॉटिफाई जैसे मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर आसानी से उपलब्ध है. यानी, अब हाई होने के लिए आपको केवल मोबाइल, हेडफोन और इंटरनेट कनेक्शन की जरूरत है. लोगों को ऐसे ही ऑडियो ट्रैक सुनकर नशा चढ़ रहा है.

दरअसल, बाइनॉरल का शाब्दिक अर्थ दो कान हैं और बीट्स का मतलब साउंड होता है. बाइनॉरल बीट्स एक खास प्रकार का साउंड होता है जिसमें आपको दोनों कानों में अलग-अलग फ्रीक्वेंसी की आवाजें सुनाई देती हैं. इससे आपका दिमाग कंफ्यूज होकर दोनों साउंड्स को एक बनाने की कोशिश करता है. ऐसा करके दिमाग में अपने आप ही तीसरा साउंड बन जाता है, जिसे केवल हम सुन सकते हैं. दिमाग की इस एक्टिविटी से लोग खुद को शांत, खोया हुआ और नशे की स्थिति में पाते हैं जिसे हम दिमाग की हलूसनेशन (Hallucination) यानी मायावी स्टेज कहते हैं.

लत में बदल जाती है आदत

यह बच्चों और युवाओं के लिए कितना खतरनाक साबित हो सकता है जब इस बारे में हमने साइकाइट्रिस्ट डॉ. दीपक रहेजा से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि पेरेंट्स को बच्चों की फोन एक्टिविटी पर नजर जरूर रखनी चाहिए. दीपक रहेजा ने इस बारे में बताया कि ऐसा देखा गया है कि बाइनॉरल बीट्स को सुनकर लोगों के मूड में बदलाव होता है. इससे उन्हें बहुत ही अच्छा और रिलैक्स महसूस होता है. नतीजतन, लोग इन बीट्स को बार-बार सुनकर एडिक्शन डेवलप कर लेते हैं.

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