वास्‍तु के मुताबिक हो जल का स्‍थान 

आवश्यक है कि घरों या उद्योग-फैक्‍ट्री की जगह में बोरिंग या पानी रखने का स्थान वास्तु के अनुसार ही हो. जल तत्व शरीर के रसायन से संबंध रखने वाला अति महत्वपूर्ण तत्व है. इससे शरीर का सारा द्रव्य प्रभावित हैं, विशेषकर मस्तिष्क. आकांक्षा, शांति, स्वाभिमान, सम्मान, संगीत, रुचि-अरुचि, सत्य-असत्य, वंश वृद्धि, तार्किक  क्षमता, धर्म-अधर्म, विश्वास, विक्षिप्तता, ज्ञान विज्ञान इत्यादि जीवन के अनेक आयामों में इसका प्रभाव पड़ता है. 

ईशान में बोरिंग अति उत्तम 

मकान में पानी के लिए प्लाट के उत्तर-पूर्व दिशा यानी ईशान में ही बोरिंग करवानी चाहिए. ईशान का अर्थ जो ईश्वर से संबंधित हो, ईशान कोण आप जानते होंगे कि पूर्व और उत्तर के मध्य स्थित होता है. पूर्व दिशा के स्वामी इंद्र हैं, जो दैविक ऐश्वर्य का प्रतिनिधित्व करते हैं और उत्तर दिशा के स्वामी कुबेर हैं जो भौतिक ऐश्वर्य का प्रतिनिधित्व करते हैं. अतः ईशान कोण इन दोनों दैविक और भौतिक ऐश्वर्य के मध्य स्थित होने के कारण दोनों तरह के ऐश्वर्यों को देने वाला कहा जाता है. इसलिए सदैव जल का स्त्रोत कुआं, हैंडपंप, बोरिंग, तालाब, तरणताल, अंडर ग्राउंड वाटर टैंक, फव्वारा आदि ईशान कोण में ही होने चाहिए. ईशान कोण में बोरिंग या जल का स्त्रोत रखने से  स्वास्थ्य वर्धक जल की प्राप्ति होती है. ईशान कोण में जल तत्व न होने से नेटवर्क एक्टिव नहीं हो पाता यानी बड़े रसूखदार लोगों से जान पहचान तो होती है पर वह वक्त पर काम नहीं आते. 

अंडरग्राउंड वाटर टैंक ईशान में 

भूखंड में उत्तर पूर्व की ओर ढलान वाला होना चाहिए. ताकि पानी बरसने पर जल उत्तर-पूर्व की ओर बहे. भूखंड में यदि अंडर ग्राउंड वाटर टैंक बनवाना हो, तो ईशान कोण में ही बनवाएं. लेकिन ध्यान रहे कि इस टैंक में शुद्ध जल ही होना चाहिए, जो पीने योग्य हो. छत पर का बरसता पानी के निकासी के लिए उत्तर पश्चिम शुभ है. यदि ईशान कोण में किसी कारण वश बोरिंग न हो सके तो ठीक पश्चिम दिशा में बोरिंग करानी चाहिए. छोटे-मोटे दोषों का निवारण ईशान में अक्वेरियम या फाउंटेन लगाकर दूर किया जा सकता है. वाटर फिल्टर भी ईशान कोण में रखना चाहिए. 

आग्नेय में बोरिंग बनवाना घातक 

कुछ स्थानों में बोरिंग या जलाशय गलत हो जाने पर निश्चित ही ग्रह स्वामी को भारी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है. इनमें आग्नेय कोण सबसे महत्वपूर्ण है. यह अनुभव के आधार पर प्रमाणित है कि यदि गृह या उद्योग में आग्नेय कोण(पूर्व और दक्षिण के मध्य) में बोरिंग करा दी गई है तो गृह स्वामी या उद्योगपति पर भारी मुसीबतें आती हैं. जैसे- संतति कष्ट, आकस्मिक धन हानि, बिजली से संबंधित दुर्घटना, अग्नि भय, उत्तेजना, क्रोध अधिक आना, माल की लागत अधिक आना आदि व्याधियां दिखाई पड़ती हैं. 

वायव्य की बोरिंग देती है आर्थिक किल्लत 

यदि बोरिंग वायव्य कोण यानी उत्तर और पश्चिम के बीच में है तो भी यह ठीक नहीं है. इससे अर्थ हानि होगी. इसके अलावा घर में जीवन शक्ति का हास होगा. जिस घर में वायव्य कोण में बोरिंग होती वहां पर भाइयों में आपसी प्रेम कम रहता है. छोटी-छोटी बात को लेकर पारिवारिक मनमुटाव बढ़ता ही जाता है. उद्योग में अगर साझेदारी है तो पार्टनरों में आपसी तनाव रहता है, मालिक नौकरों में संबंध नहीं रहते है. ऐसे संस्थान के कर्मचारी बहुत टिक कर काम नहीं करते. किसी भी प्लाट में बोरिंग सही स्थान पर ही करानी चाहिए. ताकि हमेशा जल अच्छा मिले. जल ही जीवन है.

Trending Articles