वैदिक ज्योतिष में व्यक्ति को किस्मत बदलने या फिर किस्मत का साथ पाने के लिए कुछ उपायों के बारे में बताया गया है. अगर इन उपायों को आजमा लिया जाए, तो व्यक्ति को जीवन की सभी सुख-सुविधाएं मिल जाती हैं. और घर धन से भरा रहता है. इसी में एक उपाय है चांदी का छल्ला धारण करना. ज्योतिष में चांदी के छल्ले के कई फायदे बताए गए हैं. साथ ही, इसे धारण करने की विधि के बारे में भी बताया गया है. 

अगर आपकी भी किस्मत साथ नहीं दे रही हैं, तो इसके लिए व्यक्ति को चांदी का छल्ला धारण करने की सलाह दी जाती है. ये बहुत ही मददगार साबित होते हैं. आइए जानें चांदी का छल्ला कब और कैसे धारण करें. और इसके जरूरी नियमों के बारे में. 

चांदी का छल्ला धारण करने की विधि

- अगर आप चांदी का छल्ला पहनने की सोच रहे हैं, तो बता दें कि चांदी का छल्ला बिना जोड़ का होना चाहिए. ये महिलाओं को बाएं हाथ में और पुरुषों को दाएं हाथ में धारण करना चाहिए. चांदी के छल्ले को चंद्रमा का कारक माना जाता है. 

- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चांदी का छल्ला धारण करने से सूर्य और शनि की स्थिति मजबूत होती है. साथ ही, भाग्य को मजबूती मिलती है. ऐसा भी कहा जाता है कि चांदी का छल्ला पहनने से व्यक्ति को राहु दोष से मुक्ति मिलती है और मन को शांती मिलती है. 

- ज्योतिष में बताया गया है कि व्यक्ति के हाथ का अंगूठा शुक्र ग्रह का कारक होता है. और चांदी को चंद्र ग्रह का कारक माना गया है. इसलिए कुंडली में शुक्र को मजबूत करने के लिए चांदी का छल्ला अंगूठे में धारण किया जाता है. कहा जाता है कि शुक्र के मजबूत होने पर व्यक्ति को सभी सुख-सुविधाओं की कमी नहीं रहती. 

- ऐसी मान्यता है कि चांदी का छल्ला धारण करने से बुध ग्रह मजबूत होता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बुध और शुक्र में मित्रता का भाव होता है. वहीं, बुध दोष के समाप्त होने पर व्यक्ति नौकरी और व्यापार में खूब सफलता पाता है.

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