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Gemology: सुनहला पहनने से इन राशि वालों की चमक सकती है किस्मत, जानिए धारण करने की सही विधि

Published On May 23, 2022 01:24 AM IST
Published By : Mega Daily News

Gem Stone: रत्न विज्ञान में 84 उपरत्न और 9 रत्नों का वर्णन मिलता है। इन उपरत्नों और रत्नों का संबंध किसी न किसी ग्रह से होता है। यहां हम बात करने जा रहे हैं सुनहला उपरत्न के बारे में, जिसका संबंध गुरु बृहस्पति से है। दरअसल आप लोगों ने पुखराज का नाम तो सुना ही होगा, लेकिन पुखराज का उपरत्न भी होता है, जिसको सुनहला कहते हैं। सुनहला उपरत्न पुखराज की तुलना में काफी सस्ता आता है। इसे धारण करने से समाज में मनुष्य के मान-सम्मान में वृद्धि होती है। साथ ही व्यक्ति की धन संबंधी समस्याएं भी दूर हो जाती हैं। आइए जानते हैं सुनहला धारण करने की सही विधि और किन राशि वालों को ये करता है सूट…

ऐसा होता है सुनहला:
सुनहला रत्न दिखने में पुखराज की तरह होता है। यह पुखराज का उपरत्न भी माना जाता है।अगर आपके बिजनेस में लगातार लॉस हो रहा है तो ज्योतिषी की सलाह पर आप इस उपरत्न को धारण कर सकते हैं। पीले रंग का यह सुनहला रत्न करियर और व्यापार में लाभ देता है। जो लोग सुनहला रत्न धारण करते हैं, उन पर मां लक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहती है। साथ ही यह रत्न व्यक्ति को अपने लक्ष्य तक पहुंचने में मदद करता है। वहीं जो बच्चे पढ़ाई में कमजोर हैं उन बच्चों को भी सुनहला पहना सकते हैं।

इन राशि वालों को करता है सूट:
अगर आपकी कुंडली में गुरु बृहस्पति उच्च (सकारात्मक) शुभ विराजमान हैं, तो आप इस रत्न को धारण कर सकते हैं। कर्क लग्न वाले इस रत्न को पहन सकते हैं क्योंकि गुरु आपके भाग्य के स्वामी हैं। साथ ही मीन राशि- लग्न, धनु राशि- लग्न वाले भी सुनहला धारण कर सकते हैं। वहीं अगर गुरु आपकी जन्म कुंडली में कमजोर स्थित हो तो भी सुनहला धारण कर सकते हैं।

इस विधि से करें धारण:
सुनहला रत्न को धारण करने से कुंडली में गुरु ग्रह की स्थिति मजबूत होती है। इसलिए इस रत्न को गुरुवार के दिन पहनना शुभ माना जाता है। गुरुवार को सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नानादि से निवृत होकर भगवान बृहस्पति का ध्यान करें। फिर तांबे के एक पात्र या कटोरी में गाय का कच्चा दूध, शहद, घी, गंगाजल तुलसी की पत्तियां मिलाकर इसमें सुनहला रत्न डाल दें। इसके बाद ‘ऊं ग्रां ग्रीं ग्रूं गुरुवे नम:’ मंत्र की एक माला का जाप करें। फिर इस रत्न को गंगाजल से निकालकर भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए रत्न को धारण करें। साथ ही इस रत्न को धारण करने के बाद गुरु से संबंधित दान भी जरूर निकालें और इस दान को किसी मंदिर के पुजारी को दक्षिणा रखकर दे आए। साथ ही चरण स्पर्श भी जरूर करके आए।

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